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साल का आखिरी सूर्य ग्रहण खत्म:  वर्ष के अंत में दिवाली के अगले दिन दिखा सूर्य ग्रहण

Banswara
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण खत्म:  वर्ष के अंत में दिवाली के अगले दिन दिखा सूर्य ग्रहण
@HelloPratapgarh - Banswara -

25 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण पड़ा। ग्रहण भारत में करीब 2 घंटे तक दिखाई दिया। इसे देश के अधिकतर हिस्सों में देखा गया। देश में सबसे पहले यह अमृतसर में शाम 4.19 बजे नजर आया। वहीं, मुंबई में शाम 6.09 बजे तक सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। ज्यादातर जगह ग्रहण सूर्यास्त के साथ ही खत्म हुआ।

भारत से पहले दुनियाभर में नजर आया सूर्य ग्रहण
भारत से पहले दुनिया के अलग-अलग देशों में सूर्य ग्रहण देखा गया। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक आज का सूर्य ग्रहण यूरोप, नॉर्थ-ईस्ट अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और वेस्ट एशिया में दिखाई दिया। नीचे दी गई तस्वीरों में आप दुनिया के अलग-अलग देशों में ग्रहण का नजारा देख सकते हैं....

दिवाली के बाद ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा एक दिन बाद
इस बार दीपावली पर सूर्य ग्रहण और बुध, गुरु, शुक्र, शनि का अपनी-अपनी राशि में हैं, ऐसा योग पिछले 1300 सालों में नहीं बना है। और इसका सूतक मंगलवार सुबह चार बजे से शुरू हो गया। आज का ग्रहण भारत में दिखाई दिया, इसलिए सूतक की वजह से इस साल दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का गैप है। अब गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को होगी। 2022 के बाद दीपावली और सूर्य ग्रहण का योग 2032 में 3 नवंबर को बनेगा। इस सूर्य ग्रहण के बाद 8 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी होगा, जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में दिखेगा।

दिवाली जैसे बड़े त्योहार पर सूर्य ग्रहण होने से कई तरह के कन्फ्यूजन पैदा हो गए। जैसे लक्ष्मी जी की चौकी कब हटानी है, ग्रहण के समय खाने को कैसे सुरक्षित और पवित्र रखें, सूतक का समय क्या रहेगा, ग्रहण का सभी राशियों पर कैसा असर होगा, ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखने की सलाह क्यों दी जाती है, सूर्य ग्रहण देखते समय आंखों की केयर कैसे करें?

सवाल-जवाब में जानिए सूर्य ग्रहण से जुड़ी खास बातें
सवाल: ग्रहण के समय कौन-कौन से धर्म-कर्म कर सकते हैं?
जवाब: जब ग्रहण का सूतक रहता है, तब पूजा-पाठ जैसे शुभ काम नहीं किए जाते हैं। इस वजह से सभी मंदिर बंद रहते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद ही पूजा-पाठ की जाती है। ग्रहण के समय में बिना आवाज किए मंत्र जप किए जा सकते हैं। इस समय में जरूरतमंद लोगों को दान भी करना चाहिए।

सवाल: सूर्य ग्रहण क्यों होता है?
जवाब: धर्म और विज्ञान के नजरिए से इसके अलग-अलग कारण हैं। विज्ञान के मुताबिक पृथ्वी चंद्र के साथ सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करता है। जब चंद्र परिक्रमा करते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में होते हैं, तब चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। जहां-जहां चंद्र की छाया पड़ती है, वहां सूर्य नहीं दिखता है। इस स्थिति को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। धर्म के नजरिए से ग्रहण की कथा राहु और केतु से जुड़ी है।

देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र को मथा तो अमृत निकला। विष्णु जी मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को अमृत पान करा रहे थे।

एक असुर राहु देवताओं का वेश बनाकर देवताओं के बीच बैठ गया और उसने अमृत पी लिया। सूर्य और चंद्र राहु को पहचान गए और उन्होंने विष्णु जी को ये बात बता दी।

विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन राहु ने अमृत पी लिया था, इस कारण वह मरा नहीं। राहु के दो हिस्से हो गए। एक हिस्से को राहु और दूसरे हिस्से को केतु कहा जाता है।

राहु की शिकायत सूर्य और चंद्र ने की थी, इस कारण वह इन दोनों को दुश्मन मानता है और समय-समय पर इन दोनों ग्रहों को ग्रसता है, जिसे ग्रहण कहा जाता है।

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